मैं घायल सा परिंदा हूँ
कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं,
हैं पर टूटे मैं सहमा हूँ
कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.
यही किस्मत से पाया है, जो अपना था पराया है,
परीशां हूँ मैं तनहा हूँ, कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.
भले तपता ये सहरा हो, तुम्हें अपना बनाया तो,
घना साया सा पाया हूँ कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.
तुम्ही से जिंदगी मेरी, तुम्ही से हर ख़ुशी मेरी,
तुम्हें छोडूं तो जलता हूँ, कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.
मेरी गजलें अधूरी थी, तुम्हें पाया तो पूरी की,
मैं सबकुछ तुम से पाता हूँ, कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं
कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं,
हैं पर टूटे मैं सहमा हूँ
कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.
यही किस्मत से पाया है, जो अपना था पराया है,
परीशां हूँ मैं तनहा हूँ, कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.
भले तपता ये सहरा हो, तुम्हें अपना बनाया तो,
घना साया सा पाया हूँ कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.
तुम्ही से जिंदगी मेरी, तुम्ही से हर ख़ुशी मेरी,
तुम्हें छोडूं तो जलता हूँ, कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं.
मेरी गजलें अधूरी थी, तुम्हें पाया तो पूरी की,
मैं सबकुछ तुम से पाता हूँ, कहाँ जाऊं कहाँ जाऊं