Thursday, 3 November 2011

जगजीत सिंह को मेरी खिराज ए अकीदत (श्रद्धांजली)

जगजीत सिंह को मेरी खिराज ए अकीदत (श्रद्धांजली)

 
क़लम ये रुकी है बहर खो रही है,
खड़ी वो बेचारी गज़ल रो रही है।

तुझी ने ग़ज़ल से मुखातिब कराया,
तुझी ने तरन्नुम बनाना सिखाया, 
तुझे सुन मेरे दिल के अरमान जागे,
तू ही चल दिया तोड़ कच्चे ये धागे,
सभी को गुज़रना है मुझको पता है,
मुझे पर तसल्ली नहीं हो रही है

क़लम ये रुकी है बहर खो रही है,
खड़ी वो बेचारी गज़ल रो रही है

खुदा ने गमों की वो आँधी चलाई
जिगर है शिकस्ता न तसकीन पाई,
सुकूँ तुझसे पाया कभी दिल जो टूटा,
तेरी शायरी सुन मेरा वक़्त बीता,
अदब का तुझी से समन्दर रवाँ था,
तू हामी ए उर्दू, तू शीरीं ज़बां था,
गुहर से हैं आलूद सारी निगाहें,
के रूहे मुबारक तिरी सो रही है,

क़लम ये रुकी है बहर खो रही है,
खड़ी वो बेचारी गज़ल रो रही है।

मुसलसल-लगातार, 
शिकस्ता-हारे हुये, 
शीरीं ज़बाँ-मीठी बोली वाला, 
आलूद गौहर से-आँसू भरी।

Wednesday, 1 June 2011

गुल तेरे खार लिए बैठे हैं...

याद के ढेर से अम्बार लिए बैठे हैं,
फूल के बदले में हम खार लिए बैठे हैं.

क़त्ल करके जिसे दफना भी दिया है कब का,
सामने अपने वही प्यार लिए बैठे हैं.

जीत का सेहरा तेरे सर पे सजा है हम तो,
हाथ में अपने फ़क़त हार लिए बैठे हैं.

दुश्मन अब वार भी करता है तो शर्माता है,
अनगिनत ज़ख्म लहू-दार लिए बैठे हैं.

पत्थरों का भी मुझे देख के दिल भर आया,
आब आँखों में लगातार लिए बैठे हैं.

उफ़ भी दुनिया को सुनाई न जिन्होंने थी कभी,
अब सदा वो सरे बाज़ार लिए बैठे हैं.

अब तमाम उम्र ये ग़म साथ रहेंगे अपने,
फौत खुशियों का हम मजार लिए बैठे हैं.

तेरे आने का तो इमकान नहीं है फिर भी,
अपनी आँखों में इंतजार लिए बैठे हैं.

तेरी इज्ज़त में तो ईजाफा हुआ ही होगा,
हम तेरे क़दमों में दस्तार लिए बैठे हैं.

जब से मायूस ये तहरीर हुई है तब से,
ग़म में डूबे हुए अशआर लिए बैठे हैं. 

अगर इमरोज़ तड़पता है परिंदा प्यासा,
लोग पानी वहां बेकार लिए बैठे हैं.
 


चाक सीना है तो क्या फिर भी चलो वार करो,
हम तो को कब से इसे तैयार लिए बैठे हैं.

Sunday, 22 May 2011

रेज़ा रेज़ा किये अरमान हमारे तुमने

ख्वाब के पंछी के पर काट के सारे तुमने,
रेज़ा रेज़ा किये अरमान हमारे तुमने.

बेक़रारी है बड़ी, तेज़ हुई है धड़कन,
याद का एक है बस पास में टूटा दरपन,

खोये खोये से ये अल्फाज़ बिखर जायेंगे,
खून जम जायेगा हम चैन से सो जायेंगे.

तोड़ डाले सभी किस्मत के सितारे तुमने,
रेज़ा रेज़ा किये अरमान हमारे तुमने.

अब सदा दूं मैं किसे और बुलाऊं किसको,
मेरा कोई नहीं ग़म अपना सुनाऊं किसको.

सोजे हिज्राँ में मैं हर वक़्त जला करता हूँ,
जाने कितनी दफा अब रोज़ मरा करता हूँ,


टीस बनकर तेरी यादें मेरे अन्दर उठती,
एक ज़ंजीर बनी मेरे जिगर से लिपटी,

मुझे तोहफे में दिए अश्कों के धारे तुमने,
रेज़ा रेज़ा किये अरमान हमारे तुमने.

पर परिंदे के सभी काट के सारे तुमने,
रेज़ा रेज़ा किये अरमान हमारे तुमने.